इलेक्ट्रीशियन का कार्य
Electrician |
- हम सब जानते हैं कि विद्युत हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है। सुबह जागने से लेकर रात को सोने तक हर मनुष्य विद्युत का उपभोग करता हे। हमें विद्युत का महत्व तब पता चलता है जब हमारे घरों या कारखानों में बिजली चली जाती है। जब हमें अपनी विद्युत वायरिंग प्रणाली में खराबी का सामना करना पड़ता हे। तो हम पहले तो स्वयं ही उसे ठीक करने का प्रयास करते है लेकिन यह तरीका गलत है क्योंकि बिजली पर सीधे कार्य करने के लिए हमें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ती है जिसे विद्युत का कार्य करने का ज्ञान अनुभव हो। यह कार्य करने के लिए वास्तव में एक उपयुक्त व्यक्ति एक विद्युतकार ही होता है। आज ऐसे अनेक विद्युतकार हे जों हमे अपनी सेवाएं प्रदान करते है
- इस मामले में, हमारे घरों या कारखानों की विद्युत वायरिंग प्रणाली की मरम्मत व अनुरक्षण करने के लिए एक लाइसेंसधारी विद्युतकर्मी ही उपयुक्त व्यक्ति होता है। जब बिजली की वायरिंग ठीक ढंग से नही की गई होती है तब हमें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उन परेशानियों से एक लाइसेंसधारी विद्युतकार ही हमे छुटकारा दिला सकता है। जब भी विद्युत संबंधी कोई समस्या आए तो हमें एक ऐसे व्यक्ति या विद्युतकार का ही चयन करना चाहिए जो अपने क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए फेमस हो तथा अपना कार्य कुशलापूर्वक करता हो।
इलेक्ट्रीशियन का कार्यक्षेत्र
- विद्युतकार हमारे घरों तथा कारखानों में वायरिंग करना, मरम्मत एवं देखभाल का कार्य करता है। ये विद्युतीय उपकरणों, औजारों एवं मशीनों फिटिंग और देखभाल का कार्य भी करते है। एक इलेक्ट्रीशियन ही होता है जो की एक सही समय में कौन सा तार और इंस्ट्रूमेंट लगेगा वो ही अच्छी तरह तय कर पाएगा चुकी इलेक्ट्रीशियन को सब पता होता है
- सभी इलेक्ट्रीशियन को अपने सेफ्टी उपकरण Safety Helmet, Safety Boot, Safety Belt, Ear Plug, Muf, Safety Gloovs Etc. का ज्ञान होना बहुत जरुरी है नीचे पढने के बाद वीडियो देखे
वास्तव में विद्युतकार हमारे घरों तक विद्युत लाने से लेकर बड़े इंजीनियरिंग कार्यो तक व्यापक क्षेत्रों में कार्य करते हे। विद्युतकारों को मुख्यतः तीन वर्गों में बांटा जा सकता है:
- फिटिंग इलेक्ट्रीशियन
- देखभाल इलेक्ट्रीशियन
- सही मार्गदर्सण इलेक्ट्रीशियन
एक विद्युतकार को मोटर, ट्रान्सफार्मर, जेनरेटर, स्विचगेयर, पंखों आदि जैसी विद्युत मशीनरी तथा उपकरणों को जोड़ना तथा लगाना पडता है। वह वायरिंग एवं एसेम्बलियों को फिट करने के लिए ड्राइंगों तथा वायरिंग डायग्राम को पढ़ता है तथा उसके अनुसार विद्युतीय एवं मैकेनिकल पुर्जो को एकत्र करके उनकी जांच गेजों तथा मैगर आदि से करता है। किसी भी वायरिंग का एक डायग्राम (चित्र) होता है उसे ही एक इलेक्ट्रीशियन पढकर भली भांति वायरिंग कर लेता है और जब वायरिंग जब पूरा हो जाता है तो मापक यत्रों तथा अन्य उपकरणों की सहायता से कन्टीन्यूटी, रजिस्टैंस, सर्किट, लीकेज तथा अर्थिंग आदि की जांच करनी पड़ती है।
एक विद्युतकार को बस बार, पैनल बोर्ड, फ्यूज बक्सों, स्विच गेयरों, मीटरों, रिले आदि जैसे विभिन्न विद्युत उपकरण लगाने पड़ते है। जिनमें कुचालकों, आर्द्धचालक, इंसुलेटर आदि का प्रयोग भी होता है। जब कही लाइन फॉल्ट हो जाय तो उसे दोष भी ढूढ़ने पड़ते है तथा जरूरत के अनुसार उड़े हुए फ्यूजों, जली हुई क्वाइलों, स्विचों तथा चालकों आदि को बदलने का कार्य भी करना पड़ता है।
एक इलेक्ट्रीशियन के पास ये औजार होता है वीडियो देखे
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