प्राथमिक उपचार
प्राथमिक सहायता एवं उपचार क्या है? यह कितने प्रकार का होता है ? संक्षिप्त करें।
दुर्घटनाएं घर या बाहर कही भी व किसी भी समय हो सकती है सभी कारीगर और खास कर विद्युतकारों को इनके उपचार की प्राथमिक जानकारी होना बहुत जरूरी है। दुर्घटना घटित होने के बाद यदि सही समय पर रोगी को सही सहायता व उपचार न दिया जाए तो उसकी स्थिती और भी गंभीर या चिन्ताजनक हो सकती है, यहां तक कई मामलों मे दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। उचित चिकित्सकीय देने से पूर्व किया गया कार्य ही प्राथमिक सहायता या प्राथमिक उपचार कहलाता है। इसके लिए कोई भी व्यक्ति को प्रशिक्षित किया जा सकता है। बस नीचे दी गई बातों का ध्यान रखे
- यदि आप प्राथमिक उपचारक है तो आप डाॅक्टर के आने से पहले रोगी की उचित एवं उपयुक्त सहायता करके दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को बचा सकते हैं तथा चोट की दशा एवं गंभीरता को और अधिक न बिगड़ने देने से बचा सकते है।
- प्राथमिक उपचारक को आस-पास उपलब्ध साधनों का उपयुक्त व सही प्रयोग करना चाहिए।
- प्राथमिक उपचारक को अपनी सीमाओ का भलीभाँति ज्ञान होना चाहिए।
- सबसे पहले यह देखना चाहिए। सांसे चल रही है या उकसी मृत्यु हो चुकी है।
- यदि रोगी जीवित है और अचेतावस्था में है तो सबसे पहले उसकी नस की जाँच करे और ध्यान रखे कि बच्चो में नाड़ी की गति 80-90 बार प्रति मिनट, स्वस्थ युवक में 72 बार प्रति मिनट तथा वृद्ध व्यक्तियों में 60 बार प्रति मिनट होती है।
प्राथमिक उपचार को-
1- अत्यधिक गंभीर
2- गहरे घाव
3- गन्दे घाव
4- मामूली जख्म
5- खून बहना आदि प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
प्राथमिक उपचार के लिए आवश्यक सामान उपकरणों का उल्लेख करें।
किसी भी दुर्घटनाग्रस्त रोगी के प्राथमिक उपचार के लिए निम्निलिखित उपकरणों की आवश्यकता होती है:-
- रोगी की शारीरिक तापमान जांचने के लिए डाक्टरी थर्मोमीटर
- कमरे का तापमान जांचने के लिए थर्मोमीटर
- आइस बैग
- गर्म पानी की बोतल
- बिस्तर
- यूरिनल पैन
- एक जग तथा छोटी कटोरी।
- हवा वाली तकिया
- फीडिंग कप
- ग्रेजुएटिड ग्लास, आदि।
प्राथमिक उपचार कैसे करे ?
- रोगी को मामूली जख्म होने पर जख्म को रूई से साफ करके आयोडीन का टिंक्चर लगाएं।
- जख्म को साफ पट्टी से बाधें। बाँधने से पहले जख्म पर टिंक्चर या बीटाडीन से भीगा हुआ रुई भी रखा जा सकता है।
- जख्म गहरा होने पर उसे स्टेरिलाइज्ड पट्टी से बांधना चाहिए।
- घावसबसे पहले घाव को रूई से धीरे-धीरे साफ करे फिर उस पर टिंक्चर का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि गन्दे घाव में टिटनेस होने का खतरा रहता है।
- यदि खून ज्यादा बह रहा हो तो सबसे पहले खून को जल्दी ही बहने से रोकना चाहिए क्योकि ज्यादा खून बह जाने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
- नाक से खून बहने की स्थिति में रोगी को खुली हवा में बैठा कर उसके सीने से कपड़े ढीले कर दे और उसका सिर पीछे की तरफ झुकाएं और रोगी मुँह से साॅस लेने के लिए कहें।
- ठण्डे पानी से भीगा कपड़ा या बर्फ की थैली रोगी के सिर पर रखें।
- गंभीर स्थिति मेे यदि ग्रस्त व्यक्ति की साॅस रूकने लगे तो उसे तुरंत कृतिम श्वांस दे अन्यथा उस व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती हे।
- अत्यधिक तेजी से खून बहने अथवा तज शाॅक लगने की स्थिति में तुरंत उचित प्राथमिक सहायता देकर तुरंत डाक्टर को बुलाएं।
किसी इलैक्ट्रीशियन को सख्त शाॅक लगा है। उसे आप क्या इलाज देंगे ?
यदि इलैक्ट्रीशियन अभी तक गर्म तार या उपकरण से चिपका हुआ है, तो उसे सबसे पहले उस उपकरण से अलग करने के लिए -
स्विच बन्द करो, यदि वह पास न हो तो प्लग को साॅकेट से अलग करो, यदि ऐसा भी न हो तो किसी रबर मैट, सूखी लकड़ी या कपड़ों से, पहले अपने आप को इन्सूलेट कर लो और फिर मरीज को अलग कर दो। मरीज को अलग करने के लिए लकड़ी से अपने से दूर धक्का दिया जा सकता है।
गर्म तार से अलग होने के पश्चात् यदि कपड़ो से चिंगारियाँ निकल रही हो तो उन्हे बुझा देना चाहिए। यह निश्चित कर लो कि मरीज सांस ले रहा है कि नहीं। डाक्टर को बुलावा भेजो। जब तक डाॅक्टर आए कृत्रिम सांस दिलवाने की कोशिश करो। इसके लिए निम्न विधियाँ हैः-
1. जब पीठ पर चोट है दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति का मुँह नीचे की ओर रखे
2. दुर्घटना ग्रस्त व्यक्तिका मुँह ऊपर की ओर रखे । जब छाती पर चोट है।
3. दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति से मुँह में हवा भरना फूंक मारना।
4. दुर्घटना ग्रस्त व्यक्तिके फूंक से नाक द्वारा सांस दिलाना (मुँह से नाक)।
मुँह से मुँह में हवा भरना फूंक मारना (Mouth to Mouth Rescitation)
उपयोग में आने वाला यह सबसे नवीनतम तरीका है।
सबसे पहले लेटाय |
जब किसी दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की दिल काम कर रहा है परन्तु सांसे नहीं चल रहा है तो उसे किसी और व्यक्ति की सहायता से दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को मुँह से मुँह सटाके साँस देना आपने अक्सर हिंदी फिल्म में देखा होगा हीरो कैसे लड़की को डूबने से बचता है और फिर मुँह से मुँह सटाके साँस देता है
इस प्रक्रिया में साँस देते समय बीच में रुमाल रखे लड़का हो या लड़की दोनों में रुमाल रखना चाहिए चुकी कीटाणु का डर रहता है बीच में रुमाल रख देने से आपको कोई भी दिक़्क़त नहीं होगी
मुँह से मुँह सटाके साँस दे |
जब दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की साँसे चलने लगे तो अपने मुँह हटा लें और इसे सांस लेने दें। शुरू-शुरू में 3 से 6 क्रियाओं को संभव शीघ्र दोहराएँ और इसके बाद इस क्रिया को प्रति मिनट 10 से 12 बार करते रहें। यदि दुर्घटना ग्रस्त बालक हो तो इस क्रिया को एक मिनट में 20 बार करें।
फिर अंदर की हवा निकल ने दे |
यदि आपको ऐसा लगे की दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को साँस लेने में कोई प्रॉब्लम हो रही या उसके गले में कफ हो तो तो उसे थोड़ा सा नमक पानी पिलाय चुकी नमक सोडियम क्लोराइड होता उससे उसक व्यक्ति को थोड़ा हरासमेंट काम होगा
यदि रोगी ऐंठन या मरोड़ की हालत में हो और उसका मुँह न खुल सकता हो या उसके दांत न खुलते हो तो यह आवश्यक होगा कि मुँह से नाक के रास्ते फेफड़ों मे हवा भरी जाये।
कुछ देर इसी प्रकार से दोहराय |
इतना सब करते समय डॉक्टर को फ़ोन करते रहना चाहिए और डॉक्टर आने के बाद उसे सौप देना उसके बाद डॉक्टर उसका इलाज करेंगे
मुँह से नाक विधि (Mouth to Nose Rescitation)
ऊपर की बताई गई सभी सामान है इसमें सिर्फ मुँह से मुँह की जगह मुँह से नाक हो जाता है मतलब की आप अब ग्रस्त व्यक्ति की नाक से हवा को फेपड़ें तक पहुंचाई जायगी
प्राथमिक चिकित्सा के गुण -
प्राथमिक चिकित्स घायल व्यक्ति को देखकर घबराना नहीं चाहिए
प्राथमिक चिकित्सा करते समय दुर्घटना के कारणों की जानकारी कर लेने के बाद मशीन, गैस या बिजली के मेन स्विच को आफ कर देना चाहिए।
प्राथमिक चिकित्सक शांत सीतल होनी चाहिए चिड़चिड़े नहीं होने चाइये
प्राथमिक चिकित्सक को हालत देख कर सबकुछ समझ जाना चाइये
प्राथमिक चिकित्सक बुद्धिमान,धैर्यवान व सहनशील होना चाहिए।
यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसके मुंह पर पानी के छींटे मारे
यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का केाई अंग में जखम हो गया हो या कट-फट गया हो तो उस पर टिंचर या बीटाडीन दवाई लगाकर रूई के साथ पट्टी बाँध देनी चाहिए।
यदि दुर्घटना अधिक बड़ी हो गई हो तो घायल व्यक्ति को तुरन्त अस्पताल भेज दे
प्राथमिक चिकित्सक के कत्र्तव्य -
कुछ प्राथमिक उपचार के सामान |
प्राथमिक चिकित्स कर्तव्य निम्नलिखित है: -
प्राथमिक चिकित्सक का सबसे पहला कर्तव्य है कि घटना - स्थल पर शीघ्र डाॅक्टर को बुलाने की कोशिस करें और डाॅक्टर के आने तक जहाँ तक सम्भव हो रोग या चोट का मरहम पट्टी करने की कोशिश करे।
यदि चोट से रक्त बह रहा हो तो उसे तुरन्त रोकने बर्फ का प्रयोग कर सकते है या हो एक सूती कपड़े को चोट पर दबा कर रखे जबतक की रक्त रुक न जाय और जख्म को ढक कर रखे उसमे मखी इत्यादि को बैठने न दे
घायल व्यक्ति को एक तकिये के सहारे लेटना चाहिए यदि स्वास बंद हो गया तो उसे तुरंत कृतिम स्वास दे
यदि घायल व्यक्ति पानी पी पायगे तो उसे धिरे धिरे पानी पिलाय यदि घायल व्यक्ति बेहोस हो तो पानी के छींटे मार कर उसे उठाय और फिर सूखे कपडे से उसे पोंछ दे
कई बार अधिक रक्त निकल जाने के चलते घायल को घबराहट होने लगती है तो उसे उस समय गर्म दुध, काॅफी, आदि से देकर रोगी के शरीर को गर्म रखना चाहिए।
प्राथमिक चिकित्सक को First Aid का ज्ञान होना चाहिए ताकि उसक कंडीशन में सही इलाज दे सके
प्राथमिक चिकित्सा का सामान -
- टिंचर आयोडीन,
- टिंचर बैजोइन,
- ऐक्री फलेवीन या मरक्यूरोक्रोम,
- स्प्रिट अमोनिया,
- पोटेशियम परमैंगनेट,
- डिटोल
- सोडा बाई कार्बोनेट
- सूँघने का नमक
- ए.पी.सी
- बरनौल
- दवाई युक्त प्लास्टर
- तिकोनी व गोल पट्टी
- रूई
- कैंची, चाकु, सेफ्टी पीन
- दवा पिलाने का ग्लास
- आँख धोने का गिलास
- ड्रापर
- बंस की तीलियाँ
- स्ट्रेचर
- डिब्बा
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